■ नरवा योजना -
किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में सुराजी गांव योजना महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगी। राज्य सरकार द्वारा शुरू किए गए इस योजना में नदी-नालों को पुर्नजीवन ने का भी काम किया जा रहा है। नदी-नालों के पुर्नजीवन से किसानों को सिंचाई के लिए जहां भरपुर पानी मिलेगा वहीं किसान दोहरी फसल भी ले सकेंगे। नरवा कार्यक्रम के तहत् वैज्ञानिक पद्धति से उपचार और वर्षा जल के संचयन करने अनेक स्थानों पर स्टाॅप डैम, कंटूरबण्ड आदि संरचनाएं बनाई जाएगी। वर्षा जल के संचयन और नदी नालों के उपचार से आसपास के क्षेत्र की मिट्टी में नमी बढ़ेगी साथ ही फसलों की सिंचाई के लिए जल उपलब्ध रहेगा। वर्षा जल के संचयन से भूजल स्तर में भी वृद्धि होगी। नदी नालों के पुर्नजीवन की योजना के पूर्ण होने से न केवल इसके दूरगामी जनहितकारी परिणाम निकलेंगे, बल्कि जल संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में यह योजना मील का पत्थर साबित होगा। प्रदेश के कई क्षेत्र में छोटे-छोटे नदी नाले है जिनके जल संसाधन का उपयोग नहीं हो सका है पहले ऐसे नदी नालों में वर्ष के छह से आठ महीने भरपूर पानी रहता था, परन्तु वर्तमान में अनवरत भूगर्भीय, जलादोहन से इनके जल भराव की क्षमता घट गई है। फलस्वरुप ये नदी-नाले सूखे मौसम के आने से पहले ही सूख जाते है। परन्तु अब राज्य शासन के ‘नरवा‘ कार्यक्रम के क्रियान्वयन से इन जल स्त्रोतों के संरक्षण एवं संवर्धन की संभावनाएं बढ़ गई है। साथ ही भू-जल स्तर में सुधार से भूमि को उर्वरकता में वृद्धि भी होने की संभावनाएं बढ़ गई है। इसके परिणाम स्वरूप न केवल कृषि बल्कि पेेड-पौधों के संबर्धन के लिए सकारात्मक संभावनाएं भी बनी है। साथ ही भू-जल स्तर में सुधार से भूमि को उर्वरकता में वृद्धि भी होने की संभावनाएं बढ़ गई है। इसके परिणाम स्वरूप न केवल कृषि बल्कि पेेड-पौधों के संबर्धन के लिए सकारात्मक संभावनाएं भी बनी है।
साभार - मुख्यमंत्री दर्पण।