रोका-छेका क्या है? खेती बाड़ी में रोका छेका का क्या महत्व है?
राज्य में बारहमासी खेती को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से खुले में चराई की प्रथा पर रोक लगाने तथा पशुधन प्रबंधन की व्यवस्था को बेहतर करने के लिए राज्य सरकार द्वारा रोका छेका अभियान को प्रारम्भ किया जा रहा है। ग्रामीणों, किसानों और पंचायत पदाधिकारियों को गांव में बैठक कर पशुओं के ‘रोका-छेका‘ की व्यवस्था सुनिश्चित करने का आग्रह किया जा रहा है। इससे फसलों को होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है। नगरीय इलाकों विशेषकर सड़कों पर घूमने वाले आवारा मवेशियों पर भी कड़ाई से प्रतिबंध लगाया जाएगा।
बता दें की कि ‘रोका-छेका‘ छत्तीसगढ़ की पुरानी परंपरा रही है, परंतु समय के साथ इस पुरानी परंपरा के पालन में कमी आई है, जिसकी वजह से खरीफ की फसलों को नुकसान पहुंचने के साथ ही उतेरा और उन्हारी की खेती भी प्रभावित हुई है।