■ हलबा जनजाति -
● हलबा जनजाति छत्तीसगढ़ की प्रमुख जनजाति है।
● 2011 की जनगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में इनकी कुल जनसंख्या 375182 है।
● हलबा जनजाति राज्य में मुख्यतः बस्तर, कोंडागांव, नारायणपुर, कांकेर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, बालोद, धमतरी तथा राजनांदगांव जिले में निवासरत हैं।
● हलबा जनजाति के घर सामान्यता लकड़ी एवं मिट्टी से निर्मित होते हैं जिनके ऊपर खपरैल लगी होती है।
● हलबा जनजाति की महिलाएं अपने हाथ पैरों पर देवार महिलाओं से गोदना गुदवाती हैं जिसमें विभिन्न प्रकार की आकृतियां होती है।
● हलबा जनजाति की महिलाएं साड़ी ब्लाउज पहनती हैं एवं पुरुष धोती, पटका, बंडी, सलुका पहनते हैं।
● इनका मुख्य भोजन कोदो, कुटकी, बांसी, उड़द, मूंग, अरहर मौसमी सब्जी, चटनी आदि है। हल्बा जनजाति के लोग मांसाहार भी करते हैं।
● उत्सव त्यौहार व विभिन्न संस्कारों के अवसरों पर हलबा जनजाति के लोग सल्फी, ताड़ी व महुआ की शराब देवी देवताओं को चढ़ा कर पीते हैं।
● हलबा जनजाति की आर्थिक अवस्था मुख्यतः कृषि एवं जंगल उपज पर निर्भर है, कृषि कार्य में निपुण होने के कारण इस जनजाति की आर्थिक स्थिति अन्य जनजातियों से अच्छी है।
● धान को मुसल से बाहना में कूटकर हलबा जनजाति के लोग चिवड़ा भी बनाते हैं।
● हलबा जनजाति की बोली हलबी है, बस्तर संभाग के लगभग सभी जनजातियाँ हलबी में संवाद करते हैं।
● साक्षरता के मामले में हलबा जनजाति अन्य जनजातियों की अपेक्षा अधिक साक्षर है। 2011 के जनगणना के अनुसार हलबा जनजाति की साक्षरता 72.6% है।
● हलबा जनजाति के कुल देव गुसई-पुसई, कुंवर देव, मौली माता आदि हैं। इस जनजाति के लोग देवी देवताओं में आस्था रखते हैं एवं हिंदू धर्म के सभी देवी देवताओं को मानते हैं।