छत्तीसगढ़ राज्य में देश के कई महत्वपूर्ण जलप्रपात हैं। इसमें चित्रकोट के जलप्रपात को भारतीय नियाग्रा के नाम से जाना जाता है। तीरथगढ़ का जलप्रपात राज्य का सबसे ऊँचा जलप्रपात माना गया है। इसके अलावा भी राज्य में कई नयनाभिराम जलप्रपात हैं।
● चित्रकोट जलप्रपात :- जगदलपुर से 40 कि.मी. और रायपुर से 273 कि.मी. की दूरी पर स्थित यह जलप्रपात छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा, सबसे चौड़ा और सबसे ज्यादा जल की मात्रा प्रवाहित करने वाला जलप्रपात है। यहां इंद्रावती नदी का जल प्रवाह लगभग 90 फुट ऊंचाई से नीचे गिरता है। सधन वृक्षों एवं विध्य पर्वत श्रंृखलाओं के मध्य स्थित इस जल प्रपात से गिरने वाली विशाल जलराशि पर्यटकों का मन मोह लेती हैं भारतीय नियाग्रा के नाम से प्रसिद्घ चित्रकोट वैसे तो प्रत्येक मौसम में दर्शनीय है, परंतु बरसात के मौसम में इसे देखना रोमांचकारी अनुभव होता है। बारिश में ऊंचाई से विशाल जलराशि की गर्जना रोमांच और सिहरन पैदा कर देता है। चित्रकोट जलप्रपात के आसपास घने वन विनमान है, जो कि उसकी प्राकृतिक सौंदर्यता को और बढ़ा देती है।
● तीरथगढ़ जलप्रपात :- कांगेर घाटी के जादूगर के नाम से मशहूर तीरथगढ़ जलप्रपात जगदलपुर से 29 किमी. दूरी पर स्थित है । यह राज्य का सबसे ऊंचा जलप्रपात है यहां 300 फुट ऊपर से पानी नीचे गिरता है कांगेर और उसकी सहायक नदियां मनुगा और बहार मिलकर इस सुंदर जलप्रपात का निर्माम करती है । विशाल जलराशि के साथ इतनी ऊंचाई से भीषण गर्जना के साथ गिरती सफेद जलधारा यहां आए पर्यटकों को एक अनोखा अनुभव प्रदान करती है। तीरथगढ़ जलप्रपात को देखने का सबसे अच्छा समय बारिश के मौसम के साथ-साथ अक्टूबर से अपैल तक का है।
● कांगेर धारा जलप्रपात- बस्तर जिले में कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित इस जलप्रपात की ऊंचाई 20 फुट है । कांगेर घाटी से होकर गुजरने वाली कांगेर नदी पर स्थित इस जलप्रपात का पानी स्वच्छ रहता है इस नदी के भैसादरहा नामक स्थान पर मगमच्छ प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं ।
● हाथीदरहा जलप्रपात :- चित्रकोट बारसूर मार्ग पर सेंदरी गांव में स्थित है हाथी दरहा जलप्रपात । गांव के निकट मटरानाला पर ऊंचाई से गहरी खाई में गिरने वाले इस जलप्रपात की खूबसूरती दूर-दूर तक फैली खाईयां और बढ़ा देती है । इस मेंदरी धूमर जलप्रपात भी कहा जाता है।
● तामड़ा जलप्रपात :- बस्तर जिले के चित्रकोट के तीन कि.मी. पहले दक्षिण-पश्चिम दिशा में तामड़ा जलप्रपात स्थित है यहां तामड़ा बहार नदी का पानी करीब 125 फुट की ऊंचाई से नीचे गिरता है।
● चित्रधारा जलप्रपात :- बस्तर जिले में जगदलपुर से 13 कि.मी. दूर करंजी गांव के समीप एक पहाड़ी से खंड-खंड में गिरते पानी वाला यह आकर्षक जलप्रपात है । यह जलप्रपात आसपास के लोगों के लिए पर्यटन का प्रमुख स्थल है।
● महादेव धूमर जलप्रपात :- जगदलपुर से 27 कि.मी. दूरी पर स्थित ग्राम मावलीभाठा में महादेव घूमर स्थित है । इसे पुजारी पारा जलप्रपात भी कहा जाता है । यह कई शिलाखंडों से होता हुआ 15-20 फुट ऊंचाई से गहरी खाई में चला जाता है।
● सप्तधारा जलप्रपात :- दन्तेवाड़ा में इंद्रावती नदी पर स्थित सप्तधारा जलप्रपात छत्तीसगढ़ का अत्यंत रमणीय पर्यटन स्थल है । यह जलप्रपात बोधघाट पहाड़ी से गिरते हुए क्रमश: बोध धारा, कपिलधारा पाण्डव धारा, कृष्णधारा शिव,धारा बाणधारा और शिवार्चन धारा नामक सात धाराओं का निर्माण करता है। सघन वन में होने के कारण सप्तधार जलप्रपात की रमणीयता और भी बढ़ जाती है।
● रानीदरहा जलप्रपात: सुकमाा जिले की कोंटा तहसील में स्थित है रानीदरहा जलप्रपात विकासखंड मुख्यालय छिंदगड़ से 30 कि.मी. दूरी पर शबरी पार गांव के समीप स्थित इस जलप्रपात का प्राकृतिक सौंदर्य दर्शनीय है। रानी दरहा के आसपास शबरी नदी का जल गहरा होने के कारण थमा-सा नजर ाता है, जो कि इस जलप्रपात की सुंदरता में और चार चांद लगा देता है।
● चर्रे-मर्रे जलप्रपात : नारायणपुर के अंतागढ़-आमाबेड़ा वनमार्ग पर पिंजारिन घाटी में यह जलप्रपात स्थित है । उत्तर पश्चिम दिशा में जलप्रपात का गिरता हुआ पानी अलग-अलग कुंडों के रूप में एकत्रित होकर दक्षिण दिशा में लंबा फासला तय कर कोटरी नदी में मिलता है ।
● मलजकुण्डलम जलप्रपात :- यह जल प्रपात कांकेर जिला मुख्यालय से दक्षिण-पश्चिम में 17 कि.मी. की दूरी पर दूधनदी पर स्थित है। यहां पहाड़ी पर स्थित एक कुंड से नीचे गिरती जलधारा अलौकिक दृश्य पैदा करती है। साफ-सुथरा जल नीचे गिरते समय दूधिया धारा का अहसास कराता है।
● मंडवा जलप्रपात: यह जलप्रपात बसतर जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 43 पर जगदलपुर से 22 किमी. दूरी पर कोलाब नदी (शबरी नदी) पर स्थित है । गुप्तेश्वर नामक स्थान पर प्राकृतिक रूप से बने सि जलप्रपात का सुंदरता अप्रतिम है।
● खुरसेल जलप्रपात: नारायणपुर जिले में स्थित खुरसेल घाटी अंग्रेजों के जमाने से अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्घ रहा है । यहां गुड़ाबेड़ा से करीब 9 कि.मी. की दूरी पर स्थित खुरसेल जलप्रपात में करीब 400 फुट की ऊंचाई से गिरते हुए कई खण्डों में कुण्डों का निर्माण करता हुआ। यहां एक ओर वृहत आकार के शिलाखण्डों की सुदरता है तो दूसरी ओर तेज चट्टानी ढाल से नीचे गिरता पानी । मल्गेर इंदुल जलप्रपात : यह जलप्रपात दंतेवाड़ा के कोंटा तहसिल में स्थित है । बैलाडीला पहाडिय़ों से निकलने वाली मल्गेर नदी पर स्थित इस पर्वतीय जलप्रपात का प्राकृतिक सौंदर्य अद्भुत है।
● बोग्तुम जलप्रपात: दंतेवाड़ा जिले में भोपालपटनम् के निकट पोड़सपल्ली गांव की पहाडिय़ों में स्तित है यह प्राकृतिक जलप्रपात ।
● पुलपाड़ इंदुल जलप्रपात :- बैलाडीला से पहले े सुकमा मार्ग पर नकुलनार के निकट पुलपाड़ गांव में स्थित झरना को पुलपाड़ इंदुल के नाम से जाना जाता है । यहां पहाडिय़ों से गिरती कई धाराओं में बंटी जलराशि जलप्रपात के सौंदर्य को कई गुना बढ़ा देती है ।
● केंदई जल प्रपात: कोरबा जिले के साल के घने वन प्रदेश से घिरे केन्दई गांव में यह जल प्रपात स्थित है यहां एक पहाड़ी नदी करीब 200 फुट की ऊंचाई से नीचे गिरकर इस जलप्रपाच का निर्माण करती है। इस जलप्रपात को पास में स्थित विशाल शिलाखंड से इस जलप्रपात को देखना एक अलग ही अनुभव प्रदान करता है ।
● कोठली जलप्रपात : बलरामपुर के विख्यात दर्शनीय स्थल डीपाडीह से 15 कि.मी. दूर उत्तरीदिशा में यह जलप्रपात स्थित है । कन्हार नदी में स्थित कोठली जलप्रपात अपने प्राकृतिक सौंदर्य के कारण बरबस ही अपनी ओर ध्यान खींच लेता है ।
● अमृतधारा जलप्रपात: कोरिया जिले के मनेन्द्रगढ़ तहसील में यह मनोहारी जलप्रपात स्थित है। यहां कोरिया की पहाडिय़ों से निकलने वाली हसदो नदी अमृतधारा जलप्रपात का निर्माण करती है। इस जलप्रपात का पानी स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभदायी होने के कारण इस जलप्रपात का अपना महत्व है। रक्सगण्डा जलप्रपात : यह प्रसिद्घ जलप्रपात सरगुजा जिले के नलंगी नामक स्थान पर रेहन्द नदी पर स्थित है। यहां नदी का पानी ऊंचाई से गिरकर एक संकरे कुण्ड में समाता है । इस कुण्ड की गहराई बहुत अधिक है। इस कुण्ड से 100 मीटर लंबी सुरंग निकलती है। यह सुरंग जहां समाप्त होती है वहां से रंग-बिरंगा पानी निकलता रहता है। अपनी इस विचित्रता के कारण यह जलप्रपात लोगों को एक अनोखे प्राकृतिक सौंदर्य का अहसास कराता है।
● रानीदाह जलप्रपात :- यह जलप्रपात जशपुर जिला मुख्यालय से 15 कि.मी. की दूी पर स्थित है। इस जलप्रपात के समीप प्रसिद्घ महाकालेश्वर मंदिर और ऐतिहासिक स्थल पंचमैया होने के कारण इसका धार्मिक महत्व भी है । रानीदाह जलप्रपात जून से फरवरी तक चालू रहता है।
● राजपुरी जलप्रपात :- जशपुर जिले के बगीचा विकासखंड मुख्यालय से तीन कि.मी. की दूरी पर यह जलप्रपात स्थित है । यह बारहमासी जलप्रपात है, इसलिए गरमी के दिनों में इसकी सुंदरता बरकरार रहती है । परंतु बारिश के सीजन में इसका प्राकृतिक सौंदर्य और भी निखर जाता है।
● दमेरा जलप्रपात :- जशपुर जिले से आठ किमी. की दूरी पर स्थित श्री नाला पर स्थित है दमेरा जलप्रपात । नैसर्गिक खूबसूरती वाले इस जलप्रपात को निहारने का सबसे अच्छा समय जुलाई से दिसंबर तक है।
● कुन्दरू घाघ:- सरगुजा जिले की स्थानीय बोली में जलप्रपात को घाघी कहा जाता है। पिंगला नदी जो तामोर पिंगला अभयारण्य के हृदय स्थल से प्रवाहित होती है, इसमें कुदरू घाघ एक मध्य ऊँचाईका सुन्दर जल प्रपात रमकोला से 10 कि.मी.की दूरी पर घने वन के मध्य में स्थित है। यह जल प्रपात दोनों ओर से घने जंगलों से घिरा हुआ है। यह स्थल पारिवारिक वन भोज के लिए मनमोहक, दर्शनीय एवं सुरक्षित सुगम पहुंच योग्य है।
● गोडेना जलप्रपात :- पामेड़ अभयारण्य के अंतर्गत यह जलप्रपात कर्रलाझर से 8 कि.मी. की दूरी पर स्थित है । यह स्थान बहुत ही मनोरम एवं एकांत में है, जहां झरने की कलकल ध्वनि पहाड़ से बहती हुई सुनाई देती है । यह जलप्रपात पर्यटकों के लिए पिकनिक मनाने के लिए एक उत्तम स्थान है।
● नीलकंठ जलप्रपात बसेरा :- यह जलप्रपात गुरूघासीदास राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत सघन वन से घिरा हुआ है यहां लगभग 100 फुट की ऊँचाई से पानी नीचे गिरता है । यहां स्थित विशाल शिवलिंग भी आकर्षण का प्रमुख केन्द्र है।
● पवई जलप्रपात : सेमरसोत अभयारण्य में पवई जलप्रपात चनान नदी पर स्थित है । यह जलप्रपात लगभग 100 फुट से भी ज्यादा ऊँचाई से गिरता इस जल प्रपात को जब पानी ज्यादा आता है तब धुआंधार कहा जाता है । इस स्थान तक पहुंचने के लिए बलरामपुर से जमुआटांड तक वाहन से जाया जा सकता है।
● बेनगंगा जलप्रपात कुसमी : सामरी राज्य मार्ग पर सामरीपाट के जमीरा ग्राम के पूर्व-दिक्षण कोण पर पर्वतीय श्रृंखला के बीच बेनगंगा नदी का उद्गम् स्थान है । यहां साल वृक्षों के समूह में एक शिवलिंग भी स्थापित है । वनवासी लोग इसे सरना का नाम देते हैं और इसे पूजनीय मानते हैं । सरना कुंज के निचले भाग से एक जल स्रोत का उद्गम होता है यह दक्षिण दिशा की ओर बढ़ता हुआ पहाड़ी की विशाल चट्टानों के बीच आकर जलप्रपात का रूप धारण करता है । प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण सघन वनों, चट्टानों को पार करती हुयी वेनगंगा की जलधारा श्रीकोट की ओर प्रवाहित होती है । गंगा दशहरा पर आसपास के ग्रामीण यहां एकत्रित होकर सरना देव एवं देवाधिदेव महादेव की पूजा -अर्चना करने के बाद रात्रि जागरण करते हैं । प्राकृतिक सुषमा से परिपूर्ण यह स्थान पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है।
● भेडिय़ा पत्थर जलप्रपात :- कुसमी चान्दो मार्ग पर तीस कि.मी. की दूरी पर ईदरी ग्राम है । ईदरी ग्राम से तीन. कि.मी. जंगल के बीच भेडिय़ा पत्थर जलप्रपात है । यहां भेडिय़ा नाला काजल दो पर्वतों के सघन वन के बीच प्रवाहित होता हुआ ईदरी ग्राम के पास करीब दो सौ फुट की ऊँचाई से गिरकर इस जल प्रपात का निर्माण करता है । दो पर्वतों के बीच बहता हुआऐ यह जल प्रपात देखने में एक पुल के समान नजर आता है। इस जल प्रपात के जलकुंड के पास ही एक प्राकृतिक गुफा है, जिसमें पहले भेडिय़े रहा करते थे । यही कारण है कि इस जल प्रपात को भोडिय़ा पत्थर जलप्रपात कहा जाता है ।
● रानी दहरा :- कबीरधाम जिला मुख्यालय से जबलपुर मार्ग पर करीब 35 कि.मी. दूरी पर रानी दहरा नामक जलप्रपात भोरमदेव के अंतर्गत आता है । रियासतकाल में यह मनोरम स्थल राजपरिवार के लोगों का प्रमुख मनोरंजन स्थल हुआ करता था। रानीदहरा मैकल पर्वत के आगोस में स्थित है। तीनों ओर पहाड़ों से घिरे इस स्थान पर करीब 90 फुट की ऊंचाई पर स्थित जलप्रपात बर्बस ही लोगों को अपनी ओर आकृष्ट करता है।
● सेदम जलप्रपात :- अंबिकापुर-रायगढ़ मार्ग पर अंबिकापुर से 45 कि.मी. की दूरी पर सेदम नामक गांव है । इसके दक्षिण दिशा में दो कि.मी. की दूरी पर पहाडिय़ों के बीच एक खूबसूरत झरना प्रवाहित होता है इसे राम झरना के नाम से जाना जाता है । यहां पर एक शिव मंदिर स्थित है, जहां हर साल शिवरात्रि पर मेला लगता है । इस मनोरम स्थल को देखने सालभर पर्यटक आते हैं।